सारणेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, मंदिर अरावली पहाड़ी की पश्चिमी ढलान पर है। सारणेश्वर महादेव का मंदिर दुर्ग के रूप में निर्मित हैं।
सिरोही राज्य की स्थापना 1206 ईस्वी सन् में हुई एवं इसके तृतीय शासक महाराव विजयराजजी , जिनका शासनकाल 1250 से 1311 ईस्वी सन् रहा, ने इस मन्दिर की स्थापना की। दिपावली के दिन सिरोही नरेश महाराव विजयराजजी ने दुष्ट सुल्तान से रूद्रमाल के लिंग को प्राप्त कर उसे सिरणवा पहाड के पवित्र शुक्ल तीर्थ के सामने स्थापित किया। इस मन्दिर का नाम ’’क्षारणेश्वर’’ रखा गया। क्योकि इस युद्ध में बहुत तलवारे चली उसी के कारण इस मन्दिर की स्थापना हुई। कालान्तर में ये सारणेश्वर महादेव कहलाए एवं सिरोही के देवडा चैहान राजवंश के ईष्टदेव के रूप में पूजे जाते है।
मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार किया गया है, लेकिन प्रमुख जीर्णोद्धार 16वीं शताब्दी में किया गया था। 1526 में महाराव लाखा की रानी अपूर्वा देवी ने सारणेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर हनुमान मूर्ति की स्थापना की थी। मंदिर को 1685 में महाराव अखेयराज ने सजाया था।
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी , अर्थात देवझुलनी एकादशी , को इस मन्दिर का वार्षिकोत्सव मेला स्थापित किया
1. मल्लेश्वर महादेव मंदिर, महादेव
2. आशापुरी माताजी मंदिर, सनवाड़ा
आशापुरी माताजी का मेला प्रतिवर्ष चैत्र मास , शुक्ल पक्ष १३ और १४ को होता है
3. आशापुरी माताजी मंदिर, पीपलकी
4. वाराही माताजी मंदिर, मांडवा
5. वाराही माताजी मंदिर, पालडी
6. महालक्ष्मी माताजी मंदिर, अरठवाड़ा
7. महालक्ष्मी माताजी मंदिर, चामुंडेरी
रावल ब्राह्मण जोशी गौत्र कुलदेवी श्री महालक्ष्मी माताजी चामुंडेरी
8. रावल ब्राह्मण छात्रावास, सिरोही
9. रावल ब्राह्मण छात्रावास, कालिन्द्री