Devasthan Department, Pune
श्री सारणेश्वर महादेव नमः
श्री गणेशाय नमः
कुलदेवी माताय नमः

!! जय महादेव !!

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

 हमारे बारे में

इस वेबसाइट का उद्देश्य यह है कि रावल समाज और हिंदू धर्म से संबंधित जानकारी दी जाए। यह वेबसाइट समाज को समान विचारधारा वाले व्यक्तियों से जुड़ने में मदद करने के लिए बनाई गई है।

अपनी उन्नति के लिए प्रयत्न करने के साथ समाज और देश की प्रगति में प्रयास करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।


उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
उठो, जागो, ज्ञानी मनुष्य के पास जाकर ज्ञान प्राप्त करो और ध्येय की प्राप्ति तक रूको मत। ।

रावल ब्राह्मण समुदाय परिचय एवं उत्पत्ति

रावल ब्राह्मण मुख्यतः सिरोही, पाली एवं जालोर ज़िले के निवासी हैं, रावल ब्राह्मण भगवान शिव के भक्त हैं। सारणेश्वर महादेव इनके इष्ट देव हैं। रावल एक पदवी है जो राजस्थान में सिरोही राजघराने से ब्राह्मणों को तेरहवीं सदी में प्रदान की गई थी, कालान्तर में इस पदवी को उपनाम की तरह इस्तमाल किया जाने लगा । राजघराने से जागीर के रूप में कई गांव भी प्राप्त हुए।

रावल एक आदर सूचक शब्द है इसके अनेक अर्थ है जैसे - राजा, सरदार, प्रमुख, राजकुमार, राजपुरोहित, प्रमुख पुजारी,अधिकारी, शक्तिशाली, बहादुर, योद्धा,

केरल के नम्बूद्री ब्राह्मण जो बद्रीनाथ में पूजा करते हैं और वहा के प्रमुख पुजारी हैं उन्हें भी रावल कहा जाता है

रावल ब्राह्मण जाति का उल्लेख जातिभास्कर में कहीं भी नहीं मिलता है

रावल ब्राह्मणो के गोत्र

रावल ब्राह्मण गोत्र
गोत्र वेद शाखा अटक कुलदेवी
वडकिया गौतम ऋग्वेद अस्वला ठाकर माँ आशापुरी
लुरकिया कश्यप यजुर्वेद माधवी पंड्या माँ वाराही
तिलुआ कपिल यजुर्वेद माधवी जानी माँ सरस्वती
अबोटी भारद्वाज यजुर्वेद माधवी दवे माँ खेमज / माँ क्षेमकरी
गोमट राजगर सामाणी वशिष्ठ सामवेद कौतुमी त्रिवेदी माँ सरस्वती
गेवाल भार्गव ऋग्वेद अस्वला दवे माँ चामुंडा
मेमर शांडिल्य ऋग्वेद माधवी ओझा माँ महालक्ष्मी
मल्लेरिया पराशर यजुर्वेद माधवी व्यास माँ रोहिणी
मेकलिया कौशिक ऋग्वेद अस्वला पंड्या माँ विघ्नेश्वरी
पुष्करणा मरीचि यजुर्वेद माधवी पंड्या माँ नव दुर्गा
देव क्षेत्रिय चौहान यजुर्वेद कौतुमी जानी माँ सिद्धिदात्री (सदका भवानी)
अंबालिया उपमन्यु ऋग्वेद अस्वला उपाध्याय माँ क्षेमकरी
नंदुआना गर्ग यजुर्वेद माधवी जानी माँ वांकल
गोमट (मगरीपाड़ा) कनेरिया (उत्थमन) हरितस यजुर्वेद माधवी त्रिवेदी माँ महाकाली
केवलिया आंगिरस यजुर्वेद माधवी जोशी माँ मातंगी
ओदेचा कर्दम यजुर्वेद माधवी दवे माँ महाकाली
श्री गौड़ अत्रेय यजुर्वेद माधवी उपाध्याय माँ लक्ष्मी
रोडवाल कृष्णत्रेय यजुर्वेद माधवी दवे माँ पिपलासा (माँ अनुसया)
पालीवाल उद्दालक यजुर्वेद माधवी जानी माँ उमा (बाण माता)
जोशी (जाणा) वच्छस यजुर्वेद माधवी जोशी माँ भद्रकाली
जोशी (चामुंडेरी) (हरमतिया) (पुजारा) वच्छस यजुर्वेद माधवी जोशी माँ चामुंडा
गुर्जर गौड़ अत्रेय यजुर्वेद माधवी उपाध्याय माँ चामुंडा


सनातन धर्म के ऋषि मुनि - संक्षिप्त परिचय

• ऋषि, तपस्वी होते हैं और संसार में रहकर साधना करते हैं. ऋषि, क्रोध, लोभ, मोह, माया, अहंकार, इर्ष्या जैसे विकारों से दूर रहते हैं. ऋषि, आठों सिद्धियों और नौ निधियों को प्राप्त कर लेते हैं. ऋषि, योग से परमात्मा को पा सकते हैं.
• मुनि, आध्यात्मिक ज्ञानियों को कहा जाता है. मुनि, वेद और धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान रखते हैं. मुनि, ज़्यादातर समय मौन धारण करते हैं या कम बोलते हैं. मुनि, भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं. जो ऋषि कठोर तपस्या करने के बाद मौन धारण करते हैं, उन्हें मुनि कहा जाता है.
• हर जीव में तीन तरह के चक्षु मिलते हैं, ज्ञान चक्षु, दिव्य चक्षु और परम चक्षु। जिस किसी का ज्ञान चक्षु जागृत हो जाता है उसे ऋषि कहा जाता है। जिसका दिव्य चक्षु जागृत होता है वह महर्षि कहलाता है, जबकि जिसका परम चक्षु जागृत हो जाता है उसे ब्रह्मर्षि कहा जाता है। ब्रह्मर्षि वह ऋषि है जिसने अनंत ज्ञान (सर्वज्ञता) प्राप्त कर लिया है और ब्रह्म के अर्थ को पूरी तरह से समझकर आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया है ।
साधु - कहा जाता है कि साधु बनने के लिए ज्ञानी होना जरुरी नहीं है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति साधना कर सकता है और जो व्यक्ति साधना करता है वह साधु कहलाता है। पुराने समय में जब भी कोई व्यक्ति किसी विशेष विषय या वस्तु की साधना करता था तो विशिष्ट ज्ञान प्राप्त करके वह साधु कहलाता था। साधु वह है जिसकी सोच सरल और सकारात्मक रहे और जो काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि का त्याग कर दे।
संत - सत्य का आचरण करने वाला व्यक्ति संत कहलाता है। प्राचीन समय में कई सत्यवादी और आत्मज्ञानी लोग संत हुए हैं। जैसे कबीरदास, संत तुलसीदास, संत रविदास आदि। सब कुछ त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति के लिए जाने वाले व्यक्ति को संत नहीं कहा जाता, जबकि संत तो वह होता है जो संसार और अध्यात्म के बीच संतुलन बना सकता हैं।

1. महर्षि गौतम

सप्तर्षियों में से एक हैं और ब्राह्मण ऋषि दीर्घतमस के पुत्र थे जिनका उल्लेख जैन धर्म और बौद्ध धर्म में भी मिलता है। वे वैदिक काल के एक महर्षि एवं मन्त्रद्रष्टा थे जो न्याय दर्शन के लिए जाने जाते हैं । ऋग्वेद में उनके नाम से अनेक सूक्त हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार पत्नी अहिल्या थीं जो प्रातःकाल स्मरणीय पंच कन्याओं गिनी जाती हैं। अहिल्या ब्रह्मा की मानस पुत्री थी। हनुमान की माता अंजनी गौतम ऋषी और अहिल्या की पुत्री थी। दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने देवताओं द्वारा तिरस्कृत होने के बाद अपनी दीक्षा गौतम ऋषि से पूर्ण की थी। गोहत्या का झूठा आरोप लगाने के बाद बारह ज्योतिर्लिंगों मैं महत्वपूर्ण त्रयम्बकेश्वर महादेव नाशिक भी गौतम ऋषि की कठोर तपस्या का फल है जहाँ गंगा माता गौतमी अथवा गोदावरी नाम से प्रकट हुईं

2. महर्षि कश्यप

वैदिक धर्म के एक महान ऋषि हैं, जिन्हें सृष्टि का सृजनकर्ता माना जाता है और वे सप्तर्षियों में से एक हैं। वे मरीचि ऋषि के पुत्र और कला (कर्दम ऋषि की पुत्री) के पुत्र थे. कश्यप ऋषि को सृष्टि के सभी प्राणियों (देव, दानव, नाग, असुर, पशु, पक्षी, मानव आदि) का जनक माना जाता है. उन्होंने कश्यप संहिता, स्मृति ग्रन्थ आदि जैसे कई ग्रंथों की रचना की. कश्यप संहिता आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में से एक है. कश्यप ऋषि को भगवान परशुराम का गुरु भी माना जाता है.

3. कपिल

प्राचीन भारत के एक प्रभावशाली मुनि थे। उन्हे प्राचीन ऋषि कहा गया है। इन्हें सांख्यशास्त्र (यानि तत्व पर आधारित ज्ञान) के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है जिसके मान्य अर्थों के अनुसार विश्व का उद्भव विकासवादी प्रक्रिया से हुआ है। कई लोग इन्हें अनीश्वरवादी मानते हैं लेकिन गीता में इन्हें श्रेष्ठ मुनि कहा गया है।

4. महर्षि भारद्वाज

प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध ऋषि थे, साथ ही वे सप्तर्षियों में से एक थे. जो आयुर्वेद, व्याकरण, और ज्योतिष के ज्ञाता थे, वे विमान शास्त्र में भी निपुण थे और उन्होंने विमाना के प्रकारों का वर्णन किया है. वे आयुर्वेद, व्याकरण, धनुर्वेद, राजनीति शास्त्र, यंत्र सर्वस्व, अर्थशास्त्र, पुराण, शिक्षा आदि पर अनेक ग्रंथों के रचयिता थे. महाभारत के अनुसार, वे द्रोणाचार्य के पिता थे. पांचाल नरेश द्रुपद उनके शिष्य थे.

5. वशिष्ठ

वैदिक काल के विख्यात ऋषि थे। वे उन सात ऋषियों (सप्तर्षि) में से एक हैं । वसिष्ठ ब्रम्हा के मानस पुत्र थे। त्रिकालदर्शी ऋषि थे। उनकी पत्नी अरुन्धती हैं , वशिष्ठ का विवाह दक्ष प्रजापति और प्रसूति की पुत्री अरुंधती से हुआ था।। वह योग-वासिष्ठ में राम के गुरु हैं। वशिष्ठ राजा दशरथ के राज गुरु भी थे। विश्वामित्र ने इनके 100 पुत्रों को मार दिया था, फिर भी इन्होंने विश्वामित्र को क्षमा कर दिया। सूर्य वंशी राजा इनकी आज्ञा के बिना कोई धार्मिक कार्य नही करते थे। त्रेता के अंत मे ये ब्रम्हा लोक चले गए थे। आकाश में चमकते सात तारों के समूह में पंक्ति के एक स्थान पर वसिष्ठ को स्थित माना जाता है।

6. महर्षि भृगु

जिन्हें भार्गव ऋषि भी कहा जाता है, वे ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे भृगु ऋषि ब्रह्मा जी के नौ मानस पुत्रों में से एक थे भृगु ऋषि ने भृगु संहिता, भृगु स्मृति, भृगु सूत्र, भृगु उपनिषद और भृगु गीता जैसी महत्वपूर्ण रचनाएँ कीं. इनका विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री ख्याति से हुआ था।

7. शांडिल्य ऋषि

शांडिल्य गोत्र के पूर्वज है, जिनका अर्थ है " पूर्ण चंद्रमा "। वे ऋषि देवल के पुत्र और ऋषि कश्यप के पौत्र थे।

8. महर्षि पराशर

जिन्हें वेदव्यास के पिता के रूप में भी जाना जाता है, एक महान ऋषि थे जो वेद, ज्योतिष, स्मृतिकार और ब्रह्मज्ञानी के रूप में प्रसिद्ध थे। पराशर, ऋषि वशिष्ठ के पौत्र थे. उनके पिता का नाम शक्तिमुनि और माता का नाम अद्यश्यंती था. पराशर ने कई प्राचीन हिंदू ग्रंथों की रचना की, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

पाराशरी होरा शास्त्र: ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ.
ब्रह्माण्ड पुराण:

9. महर्षि मरीचि

ब्रह्मा जी के दस मानस पुत्रों में से एक हैं, जिनकी पत्नी कला थी जो कर्दम ऋषि की पुत्री थी और कश्यप उनके पुत्र थे । मरीचि ने भृगु को दण्ड नीति की शिक्षा दी थी.

10. महर्षि गर्ग

जिन्हें गर्गाचार्य भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध वैदिक ऋषि थे, जो आंगिरस भरद्वाज के वंशज थे और ज्योतिष शास्त्र के प्रवर्तक माने जाते हैं। उनके पिता का नाम भुवमन्यु और माता का नाम विजया था। महर्षि गर्ग को यदुवंश कुलगुरु, भगवान श्री कृष्णा बलराम का नामकरण संस्कार करने वाले, गर्ग संहिता के रचयिता, ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता, भगवान शिव माता पार्वती के विवाह संस्कार को संपन्न करने वाले आचार्य के रूप में जाना जाता है.

11. कर्दम मुनि

जिन्हें कर्दम मुनि भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ऋषि हैं, जो ब्रह्मा जी के पुत्र और प्रजापति माने जाते हैं। वे मनु की पुत्री देवहूति से विवाह करते हैं और नौ पुत्रियों तथा एक पुत्र ऋषि कपिल के पिता बनते हैं.

12. अत्रि ऋषि

जिन्हें सप्तर्षियों में से एक माना जाता है, एक प्रसिद्ध वैदिक ऋषि थे, जो ब्रह्मा के मानस पुत्र थे और सती अनुसुइया के पति थे. मारकंडेय पुराण के अनुसार, वे चंद्र के पिता हैं. अत्रि ऋषि को दत्तात्रेय और दुर्वासा का पिता भी माना जाता है. अत्रि का अर्थ है जो तीनों गुणों - सतगुण, रजगुण एवं तमगुण से परे हो.

अत्रि ऋषि ने इस देश में कृषि के विकास में पृथु और ऋषभ की तरह योगदान दिया था.उन्हें ग्रहण संबंधी ज्ञान था और उन्हें ऋग्वेद में कई श्लोकों की रचना करने का श्रेय दिया जाता है, विशेष रूप से ऋग्वेद के पांचवें मंडल में.

13. ऋषि आत्रेय

जिन्हें आत्रेय पुनर्वसु के नाम से भी जाना जाता है, एक महान ऋषि थे, जो ऋषि अत्रि के वंशज थे और आयुर्वेद के एक प्रसिद्ध विद्वान थे. गांधार राज्य के राजा नग्नजित के निजी चिकित्सक के रूप में काम किया था, जिसका उल्लेख महाभारत में मिलता है. अग्निवेश, भेल, जतुकर्ण, हरित और क्षारपाणि: ये उनके कुछ प्रतिष्ठित छात्र थे, जिन्होंने आयुर्वेद से संबंधित महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे. अत्रेय संहिता उनके प्रमुख कार्यों में से एक है

14. ऋषि उद्दालक

जिन्हें आरुणि भी कहा जाता है, एक महान ऋषि थे, जिनकी कथाएँ उपनिषदों में मिलती हैं, विशेष रूप से छांदोग्य और बृहदारण्यक उपनिषद में। वे गौतम गोत्रीय थे और उनके पुत्र श्वेतकेतु भी एक प्रसिद्ध ऋषि थे. उद्दालक को महान ऋषि याज्ञवल्क्य का गुरु भी माना जाता है. अष्टावक्र, जो कि महान ऋषि थे, वे भी उद्दालक के शिष्य थे. उद्दालक के दर्शन में अद्वैतवाद की झलक दिखाई देती है, जिसका अर्थ है कि सब कुछ एक ही सत्य से बना है.



रावल ब्राह्मण समाज- परगणा सूची

परगणा-1: रुआई
अजारी आदर्श आसू (एसाऊ) चवरली दानावा फुलेरा गढ़ बोरीवाड़ा
जनापुर झाड़ोली कोजरा कैलाशनगर कोटरा खारिया नांदिया
नवा अरठ पेशुआ सिंगलावा सानवाड़ा सिवेरा वीरवाड़ा पिंडवाड़ा
परगणा-2: भीतरोट
आबू रोड (खराड़ी) ओर आमथला भावरी भारजा भीमाना देलदर
धनारी इसरा किवरली केर कोदरला काछोली नवी ज़मीन
नितोडा रोहिड़ा स्वरूपगंज वाटेरा वासा
परगणा-3: बाहरी पट्टा
भन्दर भाटुंड बेडा चामुंडेरी दुदनी नाणा वेलार
परगणा-4: लूका
भरुडी चांदुर खानपुर मांडोली मुदतारा रामसीन तवाब
थुर वुगाॉव कोट कास्ता
परगणा-5: झोरा
बरलूट भूतगांव देलदर जामोतरा जावाल कणदर मनोरा
मंडवारिया रायपुरिया सतपुरा सीवन उड़ वराडा नवा खेड़ा
परगणा-6: खारेल
झाडोली - वीर कैलाशनगर (लास) लोटीवाड़ा मनादर मदनी नारादरा सेउड़ा
सवली वाण उमेदगढ
परगणा-7: जालोरी
आडवारा अलासन आर्ने आसाणा एलाना बागरा दुदासी
जालोर मोदन मांडवला नागनी ओटवाल पूर्णा पोसना
पंठेरी पादरू रेवतड़ा सियाना सायला सोंथु सरत
सरना उम्मेदाबाद (गोर)
परगणा-8: मगरा
अकूना अम्लारी बावरी चड़वाल दोरदा फलवदी हालिवाड़ा
हिम्मतपुरा (सेजलिया) जसवंतपुरा कालन्द्री काकेंद्र केसुआ मेर मांडवाडा मोहब्बत नगर
मडिया नवारा नून पोसीतरा सनपुर सिलदर तंवरी
वलदरा
परगणा-9: आबू गोड
अनादरा असावा दांतराई धान गुलाबगंज जीरावल जोलपुर
कृष्णगंज लूनोल मालगांव माउंट आबू नागाणी पॉसिंतरा पामेरा
सिरोडी सनवाड़ा वेलांगरी
परगणा-10: सुणतर
वडगाॉव बामनवाड़ा भटाणा भीलड़ी दांतीवाड़ा हडमतिया मगरीवाड़ा
मंडार नीमतलाई पांथावाड़ा रानीवाड़ा (छोटा) रेवदर सोनेला सिलासन
परगणा-11: चौताला
दोडुआ धानता गोयली खाम्बल मांडवा मामावाली मकरोड़ा
पालड़ी (आर) पीपलकी पाडीव रामपुरा सिरोही सारणेश्वरजी सिंदरथ
परगणा-12: खुणी
अरठवाड़ा अन्दोर बागसीन भेव चूली छीबागांव मोरली
पोसालिया पालड़ी (कातला) सागलिया उथमान
परगणा-13: महादेव
आहोर आल्पा अगवरी बलाना बुदतारा बादनवाडी बांकली
बेड़ाना वडगाव (शिवगंज) भारून्दा चावाछाश डोडियाली दयालपुरा गोदन
गुड़ा बालोतान हरजी हरियाली जाखोड़ा जना जोयला जोगापुरा
केराल कोरटा कानपूरा लेटा लखमावा महादेव मालपुरा
नोवी पोमावा (बारली) पालड़ी (जोड़ा) जोरा पोटा (पावटा) पादरली शिवगंज सुमेरपुर
सेदरिया बालोटन तखतगढ़ थानवाला उमेदपुर
परगणा-14: बोरडी
बोरडी भूती चनोड चिरपटिया चेलावास देसुरी धनला
डायलाना (बड़ा) डायलाना (छोटा) धणा गादाणा घेनरी जोजावर जवाली
कूरना किशनपुरा केनपुरा खेरवा खिंवाड़ा खारची लापोद
मारवाड़ जंक्शन नाडोल पाली पिचावा पावा रोडला वलदारा
परगणा-15: रमणिया
आना बाली बिरामी बीजापुर बिजोवा बेडा चांचौड़ी
दुजाना धणी ढालोप ढोला (सासन) घानेराव गुडालाश कोलिवारा
कोट बालियान खिमेल लाटाडा लुनावा मुंडारा माडा नाडोल
नारलाई पेरवा रमनिया रानी सादड़ी सेवाड़ी शिवतलाव
सेसली


मंदिर स्थान मेला उत्सव
श्री सारणेश्वर महादेव मन्दिर सारणेश्वर धजेरी - भाद्रपद सुद द्वादशी (बारस)
मल्लेश्वर महादेव मंदिर महादेव माघ कृष्ण एकम
सारणेश्वर जी मंदिर रमणिया माघ वदी एकम
मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर पिंडवाड़ा
श्री वैजनाथ महादेव धाम फलवदी श्रावण मास अमावस्या हरियाली अमावस्या
खेतलाजी मंदिर गोयली भाद्रपद सुकल १४ अनंत चतुर्दशी
खेतलाजी मंदिर सिन्द्रथ भाद्रपद सुकल १४ अनंत चतुर्दशी
खेतलाजी मंदिर कोरटा भाद्रपद सुकल १४ अनंत चतुर्दशी
आशापुरा संचियाव माता मंदिर सनवाड़ा चैत्र , शुक्ल पक्ष १४
आशापुरी माताजी मंदिर पीपलकी जेष्ठ कृष्ण दशमी
वाराही माताजी मंदिर मांडवा वैशाख सुध छठ
वाराही माताजी मंदिर पालडी R जेठ सुद नवमी
महालक्ष्मी माताजी मंदिर अरठवाड़ा जेठ सुद दशमी
महालक्ष्मी माताजी मंदिर चामुंडेरी
चामुंडा माता मंदिर वीरवाड़ा जेठ सुद द्वादशी (बारस)
गायत्री माता मंदिर स्वरूपगंज जेष्ठ कृष्ण छठ
सरस्वती माता मंदिर ओर वैशाख सुध द्वादशी (बारस)
वाराही माता मंदिर भूतगांव
वाराही माता मंदिर रामसीन जेष्ठ सुध पंचमी
वाराही माता मंदिर नांदिया वैशाख सुध छठ
आशापुरा मंदिर मंडवारिया वैशाख सुध छठ
वाराही माता मंदिर रमणिया
रोहिणी माता महादेव जेष्ठ सुद बीज
गणेशपुरी समाधि , अहवा डांग , गुजरात फाल्गुन कृष्ण बीज
संत श्री हीराबाई जी मंदिर बोरडी फाल्गुन सुद बीज


Address: 866, Dastur Meher Road, Camp, Pune, Maharashtra
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